20 May 2010

---- कई बार यूँ ही देखा है, ये जो मन की सीमा रेखा है मन तोड़ने लगता है, अनजानी आस के पीछे अनजानी प्यास के पीछे मन दौड़ने लगता है ---


कौड़ियों के दाम बिकते हैं अब, कौड़ियों में हैं खरीदे जाते ,
धोका है? हाँ ! जनाब मंज़ूर है ये बी अब हमें;
मजबूरियां नजदीकियों की हैं , धोके  ही सही;
धोके में हैं जीए जाते...


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5 comments:

  1. Hi VB,
    Hindi poetry at its very best....
    Beautiful n soulful n meaningful expressions!

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  2. the creation is beautiful...the reason a lil scary...wait!! quite scary

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  3. thnks suruchi! =)


    aMaZYing: what do you think is the reason?
    why is the reason scary?

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