6 Aug 2010

“The best part of beauty is that which no picture can express.”

 सोचा आज जज़्बात कलम से बयां करें,
चलो आज तुम्हे कोई नाम  दें.
किताब का वो पन्ना खोजा जिस पर कोई सिलवट नही,
नहीं था कोई दाग...न कोई निशाँ, नाहीं किसी की छाप.

पर अब सोचती हूँ...


किस सिहाई से तेरा नाम लिखूं?



किस रंग से तेरा ख़याल  लिखूं? 
किस मोड़ पर ये मकाम लिखूं? 
बोल कौनसी सिहाई से तेरा नाम लिखूं? 

याद आईं कुछ सुन्हेरी बातें; 
कुछ अँधेरी ; सुन्दर नीली रातें. 
कुछ वो धुंदली गुलाबी सा-पहर मैं लिखी  नज़्में , 
पीली हसी, कुछ नम  सुरमई खामोशियाँ. 
कुछ हरकतें, कुछ शर्तें , कुछ  काली सच्चाइयां .
सतरंगी खुशबुओं सी मुलाकातें.
और कुछ हरे लम्हातो में बिछी लालियाँ


बता किस सिहाई से तेरा नाम लिखूं? 

इन सबमे से किनपर  ऐतबार करूँ. 
इस वाकिये का कैसे इज़हार करूँ .
किस मोड़ पर ये मकाम लिखूं?

बोल  किस सिहाई से तेरा नाम लिखूं? 





*real old post..another attempt to avoid piling up unread garbage*

1 comment:

  1. दर्द की सियाही से तू मेरा नाम लिख
    संग ये पयाम लिख
    कि कल जो मेरा नसीब था, ना आज वो करीब था
    जो कल सरे-आम था, वो आज हॅ गुमनाम लिख
    दर्द की सियाही से तू मेरा नाम लिख

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